जीएसटी प्रणाली में कर निर्धारण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। जीएसटी अधिनियम की धारा 73 और 74 कर निर्धारण से संबंधित दो महत्वपूर्ण धाराएं हैं।
धारा 73: आपूर्ति का मूल्य निर्धारण में चूक या कम मूल्यांकन
जीएसटी अधिनियम की धारा 73 उन मामलों से संबंधित है जहां कर अधिकारियों को यह विश्वास हो जाता है कि आपूर्ति के मूल्य का निर्धारण गलत तरीके से किया गया है या कम करके आंका गया है। इसमें निम्न स्थितियां शामिल हो सकती हैं:
- आपने अपनी जीएसटी रिटर्न में गलत जानकारी दर्ज की है।
- आपने किसी आपूर्ति का मूल्य कम करके दिखाया है।
- आपने इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का गलत तरीके से दावा किया है।
यदि ऐसी स्थिति में पाया जाता है, तो धारा 73 के तहत, अधिकारी आपको** कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice)** जारी कर सकते हैं। इस नोटिस में आपको यह बताया जाएगा कि कर अधिकारियों को क्या गड़बड़ी मिली है और आपको जवाब देने का मौका दिया जाएगा।
धारा 74: धोखाधड़ी, जानबूझकर गलत बयानी या तथ्यों को छिपाने के मामले
जीएसटी अधिनियम की धारा 74 उन मामलों से संबंधित है जहां कर अधिकारियों को यह संदेह होता है कि आपने जानबूझकर गलत बयानी की है, तथ्यों को छिपाया है या धोखाधड़ी का सहारा लिया है। इसमें निम्न स्थितियां शामिल हो सकती हैं:
- आपने फर्जी चालान जारी किए हैं।
- आपने फर्जी कंपनियां बनाकर फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया है।
- आपने जानबूझकर कम कर का भुगतान किया है।
धारा 74 के तहत दंड अधिक गंभीर हो सकते हैं। अधिकारी आपको कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ-साथ आपको कर राशि, ब्याज और भारी जुर्माना भी लगा सकते हैं।
LIMITATION PERIOD section 73 and 74 of GST act समय सीमा क्या है?
धारा 73: जीएसटी अधिनियम की धारा 73(10) के अनुसार, उचित अधिकारी को निर्णय पारित करने के लिए आमतौर पर तीन साल का समय दिया जाता है। यह अवधि उस तिथि से शुरू होती है:
- जिस तारीख को संबंधित वर्ष के लिए वार्षिक विवरणी दाखिल करने की नियत तिथि है।
- जिस तारीख को गलत रिफंड दिया गया था।
धारा 74: धारा 74 के तहत निर्धारण का आदेश पारित करने के लिए, अधिकारियों के पास आमतौर पर पांच साल का समय होता है। यह अवधि उस तिथि से शुरू होती है:
- जिस तारीख को संबंधित वर्ष के लिए वार्षिक विवरणी दाखिल करने की नियत तिथि है।
- जिस तारीख को गलत रिफंड दिया गया था।