Types of GST in India : जीएसटी के प्रकार

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भारत में विभिन्न प्रकार के GST हैं, प्रत्येक की अपनी विशिष्ट भूमिका और कार्यान्वयन है। इन विभिन्न प्रकारों को समझना GST के तहत कर दायितियों का निर्धारण करने और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

Types of GST in India : जीएसटी के प्रकार

1. केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST)

CGST केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया एक कर है जो किसी राज्य के भीतर वस्तुओं और सेवाओं की आंतरिक आपूर्ति पर लागू होता है।

2. राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST)

SGST राज्य सरकार द्वारा लगाया गया एक कर है जो किसी राज्य के भीतर वस्तुओं और सेवाओं की आंतरिक आपूर्ति पर लागू होता है।

3. एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST)

IGST केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया एक कर है जो विभिन्न राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं की अंतर-राज्य आपूर्ति पर लागू होता है।

4. केंद्रशासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (UTGST)

UTGST केंद्रशासित प्रदेश सरकार द्वारा लगाया गया एक कर है जो केंद्रशासित प्रदेश के भीतर वस्तुओं और सेवाओं की आंतरिक आपूर्ति पर लागू होता है।

GST के प्रकारों का निर्धारण करने वाले कारक

GST के प्रकार का निर्धारण करने वाले कारक निम्नलिखित हैं:

  • आपूर्ति का स्थान: यदि आपूर्ति किसी राज्य के भीतर की जाती है, तो CGST और SGST लागू होंगे। यदि आपूर्ति विभिन्न राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों के बीच की जाती है, तो IGST लागू होगा।
  • आपूर्ति की गई वस्तु या सेवा का प्रकार: GST की दर आपूर्ति की गई वस्तु या सेवा के प्रकार के आधार पर निर्धारित की जाती है।
  • आपूर्तिकर्ता और प्राप्तकर्ता का पंजीकरण: यदि आपूर्तिकर्ता और प्राप्तकर्ता दोनों GST पंजीकृत हैं, तो मानक GST दर लागू होगी। यदि प्राप्तकर्ता GST पंजीकृत नहीं है, तो समग्र कर समाधान (CRS) योजना के तहत दर लागू होगी।

GST के प्रकारों की गणना

GST के प्रकारों की गणना निम्नलिखित सूत्र के अनुसार की जाती है:

टोटल GST = CGST + SGST + UTGST (यदि लागू हो)

IGST = CGST + SGST

UTGST = CGST + SGST

जहाँ:

CGST = केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर SGST = राज्य वस्तु एवं सेवा कर UTGST = केंद्रशासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर IGST = एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर

जीएसटी रिटर्न के प्रकार (Types of GST Returns)

जीएसटी रिटर्न एक फॉर्म है जिसे हर करदाता को जीएसटी कानून के तहत पंजीकृत होने के बाद भरना होता है। रिटर्न में करदाता द्वारा की गई आपूर्तियों और प्राप्त इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का विवरण होता है। जीएसटी के तहत विभिन्न प्रकार के रिटर्न हैं, जिनमें से कुछ सबसे आम प्रकार निम्नलिखित हैं:

मासिक रिटर्न

  • GSTR-1: यह रिटर्न सभी पंजीकृत करदाताओं द्वारा प्रस्तुत की जाती है, जो आपूर्ति (बिक्री) करती हैं। इसमें आपूर्ति का विवरण शामिल है, जैसे कि बिल संख्या, दिनांक, खरीदार का जीएसटीआईएन, और कर योग्य राशि।
  • GSTR-3B: यह रिटर्न सभी पंजीकृत करदाताओं द्वारा प्रस्तुत की जाती है, जो जीएसटी के तहत कर योग्य लेनदेन करते हैं। इसमें आपूर्ति का सारांश, इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा, और देय या रिफंडेबल कर की राशि शामिल है।

वार्षिक रिटर्न

  • GSTR-9: यह रिटर्न सभी पंजीकृत करदाताओं द्वारा प्रस्तुत की जाती है। इसमें पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान किए गए लेनदेन का विस्तृत विवरण शामिल है, जैसे कि आपूर्ति का विवरण, आईटीसी का दावा, और टैक्स देयता या रिफंड।

अन्य रिटर्न

  • GSTR-2B: यह रिटर्न सभी पंजीकृत करदाताओं द्वारा प्रस्तुत की जाती है, जो इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करते हैं। इसमें आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त बिलों का विवरण शामिल है।
  • GSTR-5: यह रिटर्न गैर-निवासी करदाताओं द्वारा प्रस्तुत की जाती है, जो भारत में कर योग्य आपूर्ति करते हैं। इसमें आपूर्ति का विवरण और देय कर की राशि शामिल है।
  • GSTR-8: यह रिटर्न उन करदाताओं द्वारा प्रस्तुत की जाती है, जो टीडीएस या टीसीएस की कटौती करते हैं। इसमें कटौती कर की राशि का विवरण शामिल है।
  • CMP-08: यह रिटर्न उन करदाताओं द्वारा प्रस्तुत की जाती है, जो कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुनते हैं। इसमें आपूर्ति का सारांश और कर का भुगतान शामिल है।

जीएसटी पंजीकरण के प्रकार (Types of GST Registration)

जीएसटी पंजीकरण के मुख्य प्रकार हैं:

  • सामान्य करदाता (Regular Taxpayer): सामान्य करदाता वे व्यक्तियों और व्यवसाय हैं जो GST का पूरा दायित्व वहन करते हैं। उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने का अधिकार है।
  • कैजुअल टैक्सपेयर (Casual Taxpayer): कैजुअल टैक्सपेयर वे व्यक्ति हैं जो अस्थायी आधार पर व्यापार करते हैं, जैसे कि मेलों और प्रदर्शनियों में स्टॉल लगाना। उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने का अधिकार नहीं है।
  • कंपोज़िशन टैक्सपेयर (Composition Taxpayer): कंपोज़िशन टैक्सपेयर वे छोटे करदाता हैं जो एक वैकल्पिक कर योजना का विकल्प चुनते हैं। उन्हें कम कर दर का भुगतान करना होता है और उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने का अधिकार नहीं है।
  • गैर-निवासी करदाता (Non-Resident Taxable Person): गैर-निवासी करदाता वे व्यक्ति हैं जो भारत में निवासी नहीं हैं, लेकिन भारत में माल या सेवाओं की आपूर्ति करते हैं। उन्हें GST पंजीकरण कराने की आवश्यकता होती है यदि उनकी कुल कर देयता 20 लाख रुपये से अधिक है।

जीएसटी दरें: विभिन्न प्रकार (Types of GST Percentage and Rate)

GST को चार अलग-अलग स्लैब में वर्गीकृत किया गया है: 0%, 5%, 12%, 18% और 28%। वस्तुओं और सेवाओं पर उनकी प्रकृति, श्रेणी और उपयोग के आधार पर अलग-अलग स्लैब में कर लगाया जाता है।

जीएसटी दरों के प्रकार

  1. शून्य प्रतिशत (0%) स्लैब: इस स्लैब में उन वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किया गया है जो कर से छूट प्राप्त हैं, जैसे कि कृषि उत्पाद।
  2. पांच प्रतिशत (5%) स्लैब: इस स्लैब में उन वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किया गया है जो बुनियादी आवश्यकताओं की श्रेणी में आती हैं, जैसे कि अनाज, दूध, दाल, नमक, किताबें और समाचार पत्र।
  3. बारह प्रतिशत (12%) स्लैब: इस स्लैब में उन वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किया गया है जो आवश्यक लेकिन विलासितापूर्ण नहीं हैं, जैसे कि रेस्तरां में भोजन, गैर-ब्रांडेड कपड़े और होटल आवास।
  4. अठारह प्रतिशत (18%) स्लैब: इस स्लैब में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किया गया है, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर।
  5. अट्ठाईस प्रतिशत (28%) स्लैब: इस स्लैब में विलासितापूर्ण वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किया गया है, जैसे कि सिगरेट, पान मसाला, लग्जरी कारें और एयर कंडीशनर।

जीएसटी रिफंड के प्रकार (Types of GST Refund)

जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) रिफंड एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा करदाता अतिरिक्त या गलत तरीके से भुगतान किए गए जीएसटी को वापस प्राप्त कर सकते हैं। जीएसटी रिफंड के विभिन्न प्रकार हैं, जिनमें शामिल हैं:

1. अधिक नकद शेष:

यदि आपके इलेक्ट्रॉनिक कैश लीडर में अधिक नकद शेष है, तो आप रिफंड के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह तब हो सकता है जब आपने अपने जीएसटी भुगतान में अधिक भुगतान किया हो या जब आपको किसी कर छूट का लाभ नहीं मिला हो।

2. जीएसटीआर-3बी में अधिक कर का भुगतान:

यदि आपने अपने जीएसटीआर-3बी रिटर्न में अधिक कर का भुगतान किया है, तो आप रिफंड के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह तब हो सकता है जब आपने अपनी कर देयता की गलत गणना की हो या जब आपने किसी इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं किया हो।

3. निर्यात पर भुगतान किया गया आईजीएसटी:

यदि आपने भारत से माल का निर्यात किया है और आपने माल की कीमत पर आईजीएसटी का भुगतान किया है, तो आप रिफंड के लिए आवेदन कर सकते हैं। आईजीएसटी शून्य दर पर लगाया जाता है, इसलिए निर्यातकों को रिफंड मिल जाता है।

input Tax Credit meaning in GST Section 16: इनपुट टैक्स क्रेडिट

Determination of Value of taxable supply under GST : कर योग्य आपूर्ति के मूल्य का निर्धारण

Time of Supply of Services under GST : जीएसटी के तहत सेवाओं की आपूर्ति का समय

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