Penalty under GST : जीएसटी जमा न करने पर दंड

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जीएसटी प्रणाली ने व्यवसायों के लिए सरलता लाने का वादा किया था, लेकिन इसके साथ ही अनुपालन की जिम्मेदारी भी आई है। अगर कोई व्यवसाय जीएसटी नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे भारी जुर्माने(Penalty under GST) का सामना करना पड़ सकता है। यह जुर्माना न केवल व्यापार के वित्तीय स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि उसकी प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम जीएसटी के तहत लगाए जाने वाले विभिन्न जुर्माने के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। हम आपको बताएंगे कि कौन-से उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाया जाता है, किस दर से लगाया जाता है और इससे बचने के लिए क्या किया जा सकता है।

जीएसटी नियमों को समझना और उनका पालन करना किसी भी व्यवसाय के लिए जरूरी है। यह पोस्ट आपको जीएसटी जुर्माने के बारे में जागरूक करेगा और आपको कंप्लायंस सुनिश्चित करने में मदद करेगा। तो, चलिए जानते हैं कि जीएसटी के तहत कौन-से जुर्माने लग सकते हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है!

General Penalty under GST Section 125 जीएसटी धारा 125 सामान्‍य दंड प्रावधान

GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) प्रणाली कर चोरी या अनुपालन में कमी को रोकने के लिए सख्त नियमों का पालन करती है। धारा 125 इनमें से एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो किसी भी ऐसे उल्लंघन के लिए सामान्‍य दंड तय करता है जिनके लिए अलग से दंड निर्दिष्ट नहीं है। आइए, धारा 125 के तहत सामान्‍य दंड प्रावधान के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें देखें:

1. किस पर लागू होता है?

  • जीएसटी अधिनियम या नियमों के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करने वाला कोई भी व्यक्ति, चाहे वह पंजीकृत हो या अर-पंजीकृत।
  • इसमें कर जमा न करना, देर से जमा करना, गलत विवरण दाखिल करना, रिकॉर्ड बनाए न रखना आदि शामिल हो सकते हैं।

2. दंड की राशि कितनी है?

  • उल्लंघन की गंभीरता के आधार पर, अधिकतम ₹25,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • पहली बार उल्लंघन करने पर सौम्यता दिखाई जा सकती है और कम जुर्माना लगाया जा सकता है।

3. जुर्माना कैसे लगाया जाता है?

  • जीएसटी अधिकारी, जांच के दौरान किसी उल्लंघन का पता लगाने पर, एक शो-कॉज नोटिस जारी कर सकते हैं।
  • करदाता को जवाब देने का मौका दिया जाएगा और फिर अधिकारी उल्लंघन की गंभीरता और तथ्यों के आधार पर जुर्माना निर्धारित करेंगे।

4. जुर्माने से बचने के लिए क्या करें?

  • जीएसटी अधिनियम और नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करें।
  • रिकॉर्ड सटीक और पूर्ण रूप से बनाए रखें।
  • कर समय पर जमा करें।
  • किसी भी संदेह या भ्रम की स्थिति में, कर सलाहकार से सलाह लें।

Penalty under GST Section 73 जीएसटी धारा 73 के तहत जुर्माना

जीएसटी अधिनियम की धारा 73 करदाताओं के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उस स्थिति में जुर्माने से संबंधित है जहां कर का भुगतान नहीं किया गया है या कम भुगतान किया गया है, गलत तरीके से रिफंड लिया गया है या इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत इस्तेमाल किया गया है। आइए, धारा 73 के तहत जुर्माने के विभिन्न पहलुओं पर एक नज़र डालें:

1. किन परिस्थितियों में धारा 73 के तहत जुर्माना लगता है?

  • जब किसी करदाता ने देय जीएसटी का भुगतान नहीं किया है या कम भुगतान किया है।
  • जब किसी करदाता ने जमा कराए गए किसी अनधिकृत इनपुट टैक्स क्रेडिट का उपयोग किया है।
  • जब किसी करदाता को गलत तरीके से जीएसटी रिफंड जारी किया गया हो।

2. जुर्माने की राशि कितनी होती है?

  • जुर्माने की राशि देय या कम भुगतान किए गए कर या गलत उपयोग किए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट या गलत तरीके से प्राप्त रिफंड राशि का 10% है।
  • हालांकि, जुर्माने की राशि न्यूनतम ₹10,000 होगी।

3. क्या जुर्माने से बचने का कोई तरीका है?

  • जुर्माने से बचने का सबसे अच्छा तरीका समय पर पूरा जीएसटी जमा करना, इनपुट टैक्स क्रेडिट का उचित उपयोग करना और गलत रिफंड के लिए स्वेच्छा से आवेदन करना है।
  • यदि किसी त्रुटि के कारण गलत कर या कम कर का भुगतान किया गया है, तो करदाता संबंधित अधिकारियों को समय पर सूचित कर सकते हैं और दंड में राहत प्राप्त करने का प्रयास कर सकते हैं।

4. धारा 73 के तहत अतिरिक्त दंड: क्या हैं?

  • कर चोरी के मामलों में अधिकारियों को धारा 73 के तहत जुर्माने के साथ-साथ 100% तक का अतिरिक्त जुर्माना लगाने का अधिकार है।
  • साथ ही, धारा 74 के तहत जेल की सजा का प्रावधान भी है।

Waiver of Penalty under GST जीएसटी पेनल्टी माफी

जीएसटी कानून के तहत रिटर्न दाखिल करने में देरी, जीएसटी भुगतान में चूक या अन्य उल्लंघन पर जुर्माना (पैनल्टी) लग सकता है। लेकिन कई बार असामान्य परिस्थितियों या तकनीकी दिक्कतों के कारण करदाता इन गलतियों को अनजाने में कर देते हैं। ऐसे में जीएसटी छूट की (पैनल्टी माफी) प्रावधान करदाताओं को राहत प्रदान करते हैं। आइए देखें, जीएसटी में पेनल्टी माफी कब, कैसे और किन परिस्थितियों में मिल सकती है:

1. स्वैच्छिक अनुपालन योजना (Amnesty Scheme):

  • सरकार समय-समय पर वीसीएस स्कीम चलाती है, जो देरी से रिटर्न दाखिल करने वाले या जीएसटी भुगतान में चूक करने वाले करदाताओं को पेनल्टी में रियायत प्रदान करती है।
  • नवीनतम वीसीएस स्कीम फरवरी 2023 में चलाई गई थी, जिसमें 2017-18 से 2021-22 तक के देरी से दाखिल किए गए रिटर्न पर अधिकतम 20,000 रुपये पेनल्टी देकर अनुपालन करने का मौका दिया गया था।
  • अगली वीसीएस स्कीम आने पर उसकी विशिष्ट शर्तें और रियायत राशि अलग हो सकती है।

2. लेट फीस प्रावधान:

  • रिटर्न दाखिल करने में चूक पर लेट फीस लगती है, जिसे पेनल्टी से अलग माना जाता है। ये शुल्क आमतौर पर प्रतिदिन के हिसाब से बढ़ते हैं।
  • कुछ परिस्थितियों में, सरकार देरी से रिटर्न दाखिल करने पर लेट फीस में भी पूरी या आंशिक छूट दे सकती है। उदाहरण के लिए, 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान कुछ समय के लिए जीएसटी रिटर्न दाखिल करने पर लेट फीस में राहत दी गई थी।

3. लेट फाइलिंग पेनल्टी में माफी:

  • कुछ विशेष परिस्थितियों में, करदाता लेट फाइलिंग पेनल्टी में भी माफी का अनुरोध कर सकते हैं। ये परिस्थितियाँ आमतौर पर प्राकृतिक आपदाओं, बीमारी, साइबर धोखाधड़ी आदि जैसी असामान्य घटनाओं तक सीमित होती हैं।
  • माफी का अनुरोध करने के लिए करदाता को संबंधित अधिकारियों के पास एक आवेदन जमा करना होता है, जिसमें देरी का कारण और पेनल्टी माफी का औचित्य विस्तार से बताया जाता है।

4. लेट पेमेंट पेनल्टी में माफी:

  • जीएसटी भुगतान में विलंब पर लगने वाली पेनल्टी में भी कुछ मामलों में माफी मिल सकती है। ये मामले वित्तीय दिक्कतों, बैंक त्रुटियों या तकनीकी समस्याओं तक सीमित हो सकते हैं।
  • लेट पेमेंट पेनल्टी माफी के लिए भी आपको संबंधित अधिकारियों के पास आवेदन करना होगा और देरी का कारण प्रमाणित करना होगा।

E invoice Penalty under GST ई-चालान में देरी या त्रुटि पर जीएसटी जुर्माना

ई-चालान प्रणाली को अपनाने के साथ ही सरकार ने कर अनुपालन बढ़ाने और कर चोरी रोकने के लिए जुर्माने का भी प्रावधान रखा है। यदि कोई करदाता समय पर या सही जानकारी के साथ ई-चालान जारी नहीं करता है, तो उसे जुर्माना भरना पड़ सकता है। आइए, ई-चालान के तहत जुर्माने से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देखें:

1. ई-चालान की देरी पर कितना जुर्माना लगता है?

  • यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर ई-चालान जारी नहीं किया जाता है, तो हर दिन के लिए चालान मूल्य का 1% की दर से जुर्माना लगाया जाता है।
  • जुर्माने की अधिकतम राशि चालान मूल्य के 100% तक हो सकती है।

2. निर्धारित समय सीमा क्या है?

  • 1 अगस्त 2023 से 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक के वार्षिक कुल कारोबार (एएटीओ) वाले करदाताओं को इनवॉइस तिथि के 7 दिनों के भीतर ई-चालान जारी करना होगा।
  • बाकी करदाताओं के लिए कोई निर्धारित समय सीमा नहीं है, लेकिन उन्हें भी जल्द से जल्द ई-चालान जारी करने की सलाह दी जाती है।

3. गलत जानकारी देने पर क्या जुर्माना लगता है?

  • यदि ई-चालान में जानबूझकर गलत जानकारी दी जाती है, तो 100% चालान मूल्य तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • यदि गलत जानकारी अनजाने में दी जाती है और बाद में सुधार ली जाती है, तो कम जुर्माना लागू हो सकता है।

4. जुर्माने से बचने के लिए क्या करें?

  • समय पर और सही जानकारी के साथ ई-चालान जारी करें।
  • ई-चालान जारी करने के लिए एक विश्वसनीय सॉफ्टवेयर या सेवा का उपयोग करें।
  • अपने इनवॉइस और अन्य रिकॉर्ड को व्यवस्थित रूप से बनाए रखें।

Interest and Penalty under GST for Wrong Availment of ITC जीएसटी में गलत आईटीसी लेने पर ब्याज और जुर्माना

गिट्स (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) प्रणाली के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) आपूर्तिकर्ता द्वारा भुगतान किए गए कर का दावा करने का एक महत्वपूर्ण तत्व है। हालांकि, अगर गलत तरीके से आईटीसी लिया जाता है, तो सख्त ब्याज और जुर्माना लग सकता है। आइए, इस महत्वपूर्ण टॉपिक को संक्षिप्त रूप में समझें:

1. किस स्थिति में गलत आईटीसी माना जाता है?

  • अयोग्य सामानों या सेवाओं पर लिया गया आईटीसी (उदाहरण के लिए, व्यक्तिगत खर्च पर)।
  • फर्जी चालान या नकली बिलों पर लिया गया आईटीसी।
  • गलत टैक्स दर पर लिया गया आईटीसी।
  • बिना भुगतान के लिये गया आईटीसी।

2. गलत आईटीसी लेने पर क्या परिणाम होते हैं?

  • ब्याज: गलत आईटीसी की राशि पर प्रति वर्ष 18% की दर से ब्याज लगाया जाएगा। ब्याज अवधि उस तिथि से शुरू होगी जब आईटीसी गलत तरीके से लिया गया था, जब तक कि इसे चुका नहीं दिया जाता।
  • जुर्माना: गलत आईटीसी की राशि का 100% तक जुर्माना लगाया जा सकता है। जुर्माना का सटीक निर्धारण उल्लंघन की गंभीरता और करदाता के सहयोग पर निर्भर करता है।
  • आईटीसी रद्द करना: गलत तरीके से लिया गया आईटीसी रद्द कर दिया जाएगा, जिसका अर्थ है कि करदाता इसे अपने टैक्स देनदारियों के भुगतान के लिए उपयोग नहीं कर सकता है।

3. गलत आईटीसी लेने से बचने के लिए क्या करें?

  • अपने आपूर्तिकर्ताओं से केवल वैध चालान और बिल स्वीकार करें।
  • सुनिश्चित करें कि आप जिन वस्तुओं या सेवाओं पर आईटीसी का दावा कर रहे हैं, वे जीएसटी के तहत कर योग्य हैं।
  • सही टैक्स दरों का उपयोग करें।
  • अपने रिकॉर्डों का सावधानी से रखें और नियमित रूप से उनका ऑडिट करें।
  • किसी भी संदेह या प्रश्न के लिए कर सलाहकार से सलाह लें।

4. गलत आईटीसी लेने का पता चलने पर क्या करें?

  • जितनी जल्दी हो सके गलती को स्वीकार करें और सुधारात्मक कार्रवाई करें।
  • गलत तरीके से लिए गए आईटीसी की राशि का भुगतान संबंधित अधिकारियों को करें।
  • आवश्यक जुर्माना भी जमा करें।

Refund of Penalty under GST जीएसटी जुर्माना रिफंड

जीएसटी में गलती या चूक होने पर जुर्माना लगना आम बात है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई परिस्थितियों में उस जुर्माने को वापस भी पाया जा सकता है? आइए, जीएसटी जुर्माना रिफंड से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देखें:

1. किन परिस्थितियों में जीएसटी जुर्माना वापस मिल सकता है?

  • यदि जुर्माना गलत तरीके से लगाया गया है (जैसे गलत गणना, गलत प्रावधान का उल्लंघन का आरोप)
  • यदि जुर्माना लगाने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी हुई है (उचित नोटिस न देना, सुनवाई का मौका न देना)
  • यदि जुर्माना लगाने का कारण आपकी तरफ से अनजाने में हुई गलती है और आपने उस गलती को तुरंत सुधार लिया है
  • यदि आप जुर्माना को समय पर जमा करते हैं और फिर कोई जुर्माना उचित नहीं समझा जाता है

2. रिफंड के लिए आवेदन कैसे करें?

  • आपको जीएसटी पोर्टल पर एक ऑनलाइन आवेदन पत्र भरना होगा (Form RFD-01)।
  • आवेदन पत्र में जुर्माना लगाने का कारण, रिफंड का दावा करने का आधार और संबंधित दस्तावेजों की जानकारी शामिल करें।
  • आपके आवेदन की प्रोसेसिंग में अधिकतम 90 दिन लग सकते हैं।

3. जुर्माना रिफंड के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता है?

  • जुर्माना लगाने का आदेश
  • रिफंड का दावा करने का आधार के लिए सबूत (जैसे गलत गणना के प्रमाण, अनजाने में हुई गलती का विवरण)
  • बैंक विवरण

4. क्या रिफंड मिलने की गारंटी है?

  • रिफंड मिलने की गारंटी नहीं है। आपका आवेदन संबंधित अधिकारियों द्वारा जांचा जाएगा और वे तय करेंगे कि जुर्माना वापस किया जाना चाहिए या नहीं।
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