पैसा (मुद्रा) की उत्पत्ति (Paisa Kaun Banaya Tha) का इतिहास बहुत पुराना है। पहले आदान-प्रदान के रूप में वस्तु विनिमय (Barter System) का उपयोग होता था, जिसमें लोग अपनी वस्तुओं का व्यापार करते थे। समय के साथ यह सिस्टम जटिल हो गया, और लोगों को किसी मानक मूल्य की आवश्यकता महसूस हुई, जिससे व्यापार और लेन-देन सरल और व्यवस्थित हो सके।
Paisa Kaun Banaya Tha
Table of Contents
पैसा बनाने की शुरुआत:
- वस्तु विनिमय (Barter System):
- पहले लोग वस्तु विनिमय प्रणाली के जरिए सामान का आदान-प्रदान करते थे, जैसे कि एक व्यक्ति अपना अनाज दूसरे से गहनों या पशुओं के बदले में लेता था। लेकिन यह प्रणाली कुछ कठिनाई और सीमा के साथ आई, क्योंकि एक ही वस्तु की आवश्यकता सभी के लिए समान नहीं होती थी।
- धातु और सिक्कों का उपयोग (Use of Metals and Coins):
- प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया में करीब 3000 ईसा पूर्व से ही धातुओं का उपयोग करना शुरू हुआ था।
- पहले सोना, चांदी, तांबा और तांबे के सिक्के मुद्रा के रूप में इस्तेमाल होते थे।
- पहला सिक्का – लिडियन साम्राज्य (First Coin – Lydian Empire):
- सबसे पहला सिक्का लिडियन साम्राज्य (Lydia) द्वारा ईसा पूर्व 600 के आसपास बनाया गया था, जो वर्तमान तुर्की में स्थित था।
- लिडियन साम्राज्य ने सोने और चांदी के मिश्रण से बने सिक्कों का उपयोग शुरू किया, जिन्हें “क्रोसस” कहा जाता था।
- इन सिक्कों ने व्यापार को सरल और पारदर्शी बना दिया, क्योंकि इन्हें किसी विशेष मानक के अनुसार माना गया था और इनकी एक निश्चित मूल्यवत्ता थी।
- भारत में मुद्रा की शुरुआत (Currency in India):
- भारत में प्राचीन समय में मौर्य साम्राज्य के तहत चन्द्रगुप्त मौर्य और बाद में अशोक ने भी सिक्के जारी किए थे।
- भारत में सबसे पहले कांच और सोने के सिक्के का उपयोग हुआ, और धीरे-धीरे प्राचीन भारत में मुद्रा के रूप में विभिन्न प्रकार के सिक्कों का प्रचलन हुआ।
- कागजी मुद्रा (Paper Currency):
- कागज की मुद्रा का उपयोग चीन में हुआ, जहां पहले पहल 618-907 ईसवी के बीच तांग वंश ने कागज पर मुद्रा को प्रचलित किया।
- भारत में कागजी मुद्रा का प्रचलन ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ, जब Reserve Bank of India ने 1935 में भारतीय मुद्रा की शुरुआत की।
पैसा (मुद्रा) बनाने का उद्देश्य:
- लेन-देन को आसान बनाना: किसी वस्तु का व्यापार करना कठिन था, इसलिए एक सामान्य रूप से स्वीकार्य वस्तु का निर्माण किया गया जिसे पैसे के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।
- वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य तय करना: पैसा एक मानक मूल्य की पहचान करता है, जिससे व्यापार और लेन-देन सरल हो सके।
- वाणिज्यिक व्यापार को बढ़ावा देना: मुद्रा के रूप में धन होने से व्यापार अधिक बढ़ा और लोगों को अधिक विकल्प मिले।
निष्कर्ष:
पैसा पहले वस्तु विनिमय प्रणाली के रूप में था, जिसे धीरे-धीरे धातु, सिक्कों और कागजी मुद्रा में परिवर्तित किया गया। सबसे पहले सिक्के लिडियन साम्राज्य ने जारी किए थे, और कागजी मुद्रा का प्रचलन चीन में हुआ। इस प्रक्रिया के माध्यम से, पैसा समय के साथ विकसित हुआ और आज हम इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त मुद्रा के रूप में उपयोग करते हैं।