भारत में आयकर कानून आयकर अधिनियम, 1961 के तहत आते हैं। यह कानून आयकर विभाग द्वारा करों की वसूली, करों की दरें, और अन्य संबंधित प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है। आयकर नियमों (Income Tax Ke Niyam) का उद्देश्य नागरिकों से आय के अनुसार न्यायसंगत कर वसूलना और कराधान के संचालन को सुचारु बनाना है।
Income Tax Ke Niyam
Table of Contents
नीचे आयकर के कुछ महत्वपूर्ण नियम दिए गए हैं:
1. आयकर की श्रेणियाँ (Heads of Income)
आयकर में आय के विभिन्न स्रोतों के आधार पर कर की गणना की जाती है। कुल आय को निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जाता है:
आय का स्रोत | विवरण |
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वेतन/सैलरी (Salary) | किसी व्यक्ति द्वारा नौकरी से प्राप्त वेतन या सैलरी। इसमें मूल वेतन, भत्ते, बोनस और अन्य लाभ शामिल होते हैं। |
प्रॉपर्टी से आय (Income from Property) | किसी संपत्ति से प्राप्त किराया या अन्य प्रकार की आय। |
व्यवसाय/व्यवसाय से आय (Income from Business/Profession) | व्यापार या व्यवसाय से होने वाली आय। इसमें लाभ, नुकसान और अन्य संबंधित आय आती है। |
पूंजीगत लाभ (Capital Gains) | संपत्ति की बिक्री पर प्राप्त लाभ। इसमें दीर्घकालिक और तत्कालीन पूंजीगत लाभ शामिल हैं। |
अन्य स्रोतों से आय (Income from Other Sources) | यदि कोई आय ऊपर दिए गए स्रोतों से नहीं आती, तो उसे “अन्य स्रोतों से आय” के तहत लिया जाता है। जैसे ब्याज, लॉटरी आदि। |
2. आयकर स्लैब (Income Tax Slabs)
आयकर स्लैब्स प्रत्येक वर्ष आयकर विभाग द्वारा अपडेट किए जाते हैं। ये स्लैब्स करदाता की आय पर आधारित होते हैं, जो यह निर्धारित करते हैं कि व्यक्ति पर कितना कर लगाया जाएगा।
2024-25 के वित्तीय वर्ष के लिए आयकर स्लैब्स:
1. सामान्य व्यक्ति (General Individual)
आय की सीमा | कर की दर |
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₹2,50,000 तक | कोई कर नहीं |
₹2,50,001 से ₹5,00,000 तक | 5% |
₹5,00,001 से ₹10,00,000 तक | 20% |
₹10,00,001 से अधिक | 30% |
2. वरिष्ठ नागरिक (Senior Citizens) – 60 से 80 वर्ष
आय की सीमा | कर की दर |
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₹3,00,000 तक | कोई कर नहीं |
₹3,00,001 से ₹5,00,000 तक | 5% |
₹5,00,001 से ₹10,00,000 तक | 20% |
₹10,00,001 से अधिक | 30% |
3. अति वरिष्ठ नागरिक (Super Senior Citizens) – 80 वर्ष से अधिक
आय की सीमा | कर की दर |
---|---|
₹5,00,000 तक | कोई कर नहीं |
₹5,00,001 से ₹10,00,000 तक | 20% |
₹10,00,001 से अधिक | 30% |
3. आयकर में छूट (Deductions)
आयकर की छूट का उद्देश्य करदाता को उनकी आय पर कर का बोझ कम करने का अवसर देना है। निम्नलिखित कुछ प्रमुख छूटें हैं:
a. धारा 80C (Section 80C)
यह छूट आपके द्वारा किए गए निवेशों पर मिलती है। इसमें शामिल हैं:
- जीवन बीमा प्रीमियम (Life Insurance Premium)
- कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)
- सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF)
- राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC)
- 5 वर्षीय निश्चित जमा (Fixed Deposit)
b. धारा 80D (Section 80D)
यह छूट स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर मिलती है। इसमें:
- स्वयं और परिवार (पति/पत्नी और बच्चे) के लिए बीमा प्रीमियम
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए अतिरिक्त छूट
c. धारा 10(14) (Section 10(14))
यह छूट कुछ विशेष भत्तों और खर्चों पर मिलती है जैसे:
- यात्रा भत्ता
- विशेष क्षेत्र भत्ता
4. आयकर रिटर्न (Income Tax Return – ITR)
आयकर रिटर्न (ITR) फाइलिंग, आयकर विभाग के साथ आपकी आय और कर दायित्व को सही तरीके से रिपोर्ट करने की प्रक्रिया है। हर व्यक्ति और संस्था जो न्यूनतम कर योग्य आय से अधिक कमाता है, उसे अपनी आय का विवरण आयकर रिटर्न के माध्यम से देना होता है।
a. रिटर्न फाइलिंग की तारीखें
आयकर रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख हर साल 31 जुलाई होती है, हालांकि यदि आप किसी विशेष कारण से देरी करते हैं तो इसे 31 दिसंबर तक बढ़ाया जा सकता है।
b. रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया
- आयकर रिटर्न ऑनलाइन फाइल किया जा सकता है।
- आय की पूरी जानकारी, छूट और कटौतियों के साथ विवरण भरें।
- दस्तावेज़ों को संलग्न करके रिटर्न प्रस्तुत करें।
5. कर भुगतान (Tax Payment)
कर भुगतान करने के लिए कई तरीके उपलब्ध हैं:
- ऑनलाइन भुगतान: आप आयकर विभाग की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन भुगतान कर सकते हैं।
- बैंक के माध्यम से: आप किसी भी अधिकृत बैंक में जाकर चेक या नकद से कर भुगतान कर सकते हैं।
- सीएसटीएस (RTGS/NEFT): बड़े कर भुगतान के लिए ये विधियां उपयुक्त होती हैं।
6. आयकर विभाग द्वारा नोटिस (Income Tax Notices)
आयकर विभाग विभिन्न कारणों से नोटिस भेज सकता है। नोटिस तब जारी होते हैं जब विभाग को लगता है कि करदाता ने आय में कोई गलती की है या कर भुगतान में कोई देर की है।
a. नोटिस के प्रकार:
- धारा 139(9) नोटिस: यह नोटिस रिटर्न में त्रुटियों के लिए जारी किया जाता है।
- धारा 142(1) नोटिस: जब विभाग को आपके रिटर्न की जानकारी और दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है।
- धारा 156 नोटिस: जब कर भुगतान में कोई बकाया होता है और विभाग आपसे उसे चुकता करने की मांग करता है।
7. आयकर जांच (Income Tax Audit)
आयकर विभाग द्वारा एक व्यक्ति या संस्था की आयकर जांच की जा सकती है यदि विभाग को संदेह होता है कि आपकी आय में छुपाई गई है या आपने आयकर भुगतान में किसी प्रकार की गलती की है।
a. जांच की प्रक्रिया
- आयकर अधिकारी आपके रिकॉर्ड्स, दस्तावेज़ों और लेन-देन की जांच करते हैं।
- अगर जांच के दौरान कोई गलती पाई जाती है, तो आपको कर की भरपाई करनी पड़ सकती है, और संभवतः जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
निष्कर्ष
आयकर के नियमों (Income Tax Ke Niyam) का पालन करना न केवल कानूनी तौर पर आवश्यक है, बल्कि यह वित्तीय योजना और करों के सही भुगतान में भी मदद करता है। हर व्यक्ति को आयकर के नियमों और स्लैब्स की पूरी जानकारी होनी चाहिए ताकि वह करों में कोई गलती न करे और समय पर सही कर भुगतान कर सके।