IF Petrol and Diesel come under GST

Whatsapp Group
Telegram channel

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें हमेशा से ही चर्चा का विषय रही हैं। इन ईंधनों पर लगाए जाने वाले कर और इनके मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया जटिल है। यदि पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के अंतर्गत (IF Petrol and Diesel come under GST) लाया जाए, तो इससे अर्थव्यवस्था, सरकार और आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह समझना महत्वपूर्ण है।

पेट्रोल और डीजल पर वर्तमान कर प्रणाली

वर्तमान में पेट्रोल और डीजल पर केंद्र और राज्य सरकारें विभिन्न प्रकार के कर लगाती हैं। इन करों का विवरण निम्नलिखित है:

केंद्र सरकार के करराज्य सरकार के कर
उत्पाद शुल्क (Excise Duty)मूल्य वर्धित कर (VAT)
सेस (स्वच्छ भारत सेस, कृषि सेस)स्थानीय कर (Entry Tax)
  • उत्पाद शुल्क: यह केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाने वाला कर है, जो पेट्रोल और डीजल की कीमत का एक बड़ा हिस्सा बनता है।
  • मूल्य वर्धित कर (VAT): राज्यों द्वारा लगाया जाने वाला यह कर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दर पर लागू होता है।

What happens if petrol and diesel come under GST in India

यदि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाया जाए, तो इसके कई प्रभाव होंगे:

1. मूल्य में संभावित कमी

जीएसटी में कर की एक समान दर होती है। यदि पेट्रोल और डीजल पर जीएसटी की दर 28% निर्धारित की जाए, तो इनकी कीमत में कमी आ सकती है, क्योंकि मौजूदा कर प्रणाली में करों का कुल भार 50% से अधिक होता है।

2. एक समान कीमतें

वर्तमान में राज्यों में अलग-अलग VAT दरों के कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतें अलग-अलग होती हैं। जीएसटी के तहत एक समान कर प्रणाली से पूरे देश में इनकी कीमतें समान हो जाएंगी।

3. राजस्व पर प्रभाव

राज्य और केंद्र सरकार दोनों के लिए पेट्रोलियम उत्पाद कर का बड़ा स्रोत हैं। जीएसटी के अंतर्गत आने से इनका राजस्व प्रभावित हो सकता है।

संभावित मूल्य तुलना (उदाहरण के लिए)

ईंधन का प्रकारमौजूदा कीमत (₹/लीटर)जीएसटी के तहत संभावित कीमत (₹/लीटर)
पेट्रोल11080-85
डीजल9570-75

लाभ और हानि

लाभ

  1. आम जनता को राहत: कीमतों में कमी होने से उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिलेगा।
  2. लॉजिस्टिक्स उद्योग को मदद: डीजल सस्ता होने से परिवहन लागत में कमी आएगी।
  3. पारदर्शिता: कर प्रणाली सरल और पारदर्शी होगी।

हानि

  1. सरकार का राजस्व घट सकता है।
  2. राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति पर निर्भर रहना पड़ सकता है।
  3. छोटे व्यवसायों और खुदरा विक्रेताओं को अनुकूलन में कठिनाई हो सकती है।

जीएसटी दर का निर्धारण कैसे हो?

जीएसटी के अंतर्गत पेट्रोल और डीजल को शामिल करने के लिए दरों का निर्धारण इस प्रकार किया जा सकता है:

जीएसटी स्लैबपेट्रोल डीजल पर प्रभाव
18%अत्यधिक सस्ता
28%संतुलित मूल्य
40% (विशेष स्लैब)वर्तमान कीमत के करीब

जनता और उद्योग पर प्रभाव

  • आम जनता: पेट्रोल और डीजल सस्ते होने से घरेलू बजट पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • उद्योग: परिवहन और विनिर्माण उद्योग को कच्चे माल की लागत में कमी से लाभ होगा।
  • कृषि: डीजल की कीमत में कमी से कृषि लागत घटेगी।

जीएसटी के अंतर्गत लाने की प्रक्रिया में चुनौतियां

  1. केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहमति: चूंकि पेट्रोलियम से राज्यों को बड़ा राजस्व मिलता है, राज्यों को जीएसटी के लिए सहमत करना कठिन होगा।
  2. जीएसटी स्लैब का चयन: उचित दर निर्धारण एक बड़ी चुनौती होगी।
  3. राजस्व क्षतिपूर्ति: सरकार को राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए एक मजबूत तंत्र बनाना होगा।

विशेषज्ञों की राय

  • वित्त विशेषज्ञों के अनुसार: पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने से कर प्रणाली में सुधार होगा।
  • औद्योगिक विशेषज्ञों के अनुसार: यह लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए फायदेमंद होगा।

निष्कर्ष

यदि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंतर्गत (What will happen if Petrol and Diesel come under GST) लाया जाए, तो इससे कीमतें कम होंगी और देशभर में एक समान हो जाएंगी। हालांकि, यह कदम उठाने से पहले केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहमति बनाना और राजस्व क्षतिपूर्ति की समस्या का समाधान करना आवश्यक होगा। इससे न केवल उपभोक्ताओं को लाभ होगा, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था भी और अधिक संगठित और पारदर्शी बनेगी।

Whatsapp Group
Telegram channel

Leave a Comment