GST Rule 37 in Hindi भुगतान में देरी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट रिवर्सल

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जीएसटी नियम 37 एक महत्वपूर्ण नियम है जो करदाताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के दावों को विनियमित करता है। यह उन परिस्थितियों से संबंधित है जहां करदाता अपने आपूर्तिकर्ता को आपूर्ति के लिए भुगतान करने में विफल रहता है।

यहाँ जीएसटी नियम 37 (GST Rule 37 in Hindi) के बारे में महत्वपूर्ण बिंदुओं को सूचीबद्ध किया गया है:

1. कब लागू होता है?

यह नियम तब लागू होता है, जब कोई पंजीकृत करदाता किसी आपूर्तिकर्ता से वस्तुओं या सेवाओं की आवक आपूर्ति प्राप्त करता है और उस आपूर्ति पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ उठाता है, लेकिन आपूर्तिकर्ता को देय राशि का भुगतान करने में विफल रहता है।

2. भुगतान की समय सीमा क्या है?

भुगतान करने की समय सीमा चालान जारी होने की तिथि से 180 दिन है। इसमें आपूर्ति के लिए देय मूल्य के साथ-साथ उस पर लागू कर भी शामिल है।

3. क्या रिवर्स करना होगा?

यदि भुगतान निर्धारित 180 दिनों के भीतर नहीं किया जाता है, तो करदाता को उस अवधि के लिए क्लेम किए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट को उलटना होगा जिसके लिए भुगतान लंबित है।

4. रिवर्सल कैसे करें?

करदाता को अगले महीने की जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल करते समय रिवर्सल करना होगा, जो उस अवधि के बाद आता है जिसमें 180 दिन पूरे हो जाते हैं। रिटर्न में रिवर्स किए गए आईटीसी राशि को दिखाना होगा।

5. ब्याज देय है?

हां, रिवर्स किए गए आईटीसी की राशि पर देय ब्याज का भुगतान भी करना होगा। ब्याज की दर सरकार द्वारा अधिसूचित दर के अनुसार होगी।

6. कब वापस लिया जा सकता है रिवर्सल?

यदि बाद में आपूर्तिकर्ता को भुगतान कर दिया जाता है, तो करदाता उस अवधि के लिए रिवर्स किए गए आईटीसी को वापस ले सकता है, जिसके लिए भुगतान कर दिया गया है। रिटर्न में संशोधन दाखिल करके यह वापसी की जा सकती है।

7. जुर्माना क्या है?

यदि करदाता निर्धारित समय सीमा के भीतर आईटीसी रिवर्सल नहीं करता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

निष्कर्ष:

जीएसटी नियम 37 यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि करदाता केवल उसी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाएं जिसके लिए उन्होंने वास्तव में आपूर्तिकर्ता को भुगतान किया है। यह प्रावधान सरकार को राजस्व संग्रह में भी मदद करता है।

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