Difference between composition and regular GST जीएसटी कंपोजिशन स्कीम और रेगुलर जीएसटी के बीच अंतर

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भारत में कारोबार करने वाले व्यवसायों के लिए जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) एक महत्वपूर्ण प्रणाली है। हालांकि, जीएसटी पंजीकरण के तहत दो मुख्य विकल्प उपलब्ध हैं: कंपोज़िशन स्कीम और रेगुलर स्कीम।

Difference between composition and regular GST

1. पात्रता:

  • कंपोजिशन स्कीम:
    • वार्षिक कारोबार ₹1.5 करोड़ से कम होना चाहिए (कुछ विशेष राज्यों में ₹75 लाख)।
    • सेवा प्रदाताओं के लिए वार्षिक कारोबार ₹50 लाख से कम होना चाहिए।
    • कुछ विशिष्ट प्रकार के व्यवसाय इस स्कीम के लिए पात्र नहीं हैं, जैसे ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर आपूर्ति करने वाले, गैर-निवासी करदाता इत्यादि।
  • रेगुलर स्कीम:
    • किसी भी सीमा के बिना सभी जीएसटी पंजीकृत व्यवसाय इसके लिए पात्र हैं।

2. कर की दरें:

  • कंपोजिशन स्कीम:
    • आपूर्ति किए गए सामानों और सेवाओं के मूल्य पर एक निश्चित दर से टैक्स देना होता है।
    • दरें आम तौर पर 1% से 6% के बीच होती हैं (आपूर्ति किए गए सामानों/सेवाओं के प्रकार के आधार पर भिन्न)।
  • रेगुलर स्कीम:
    • आपूर्ति किए गए सामानों और सेवाओं के मूल्य पर विभिन्न दरों से टैक्स देना होता है।
    • ये दरें 0%, 5%, 12%, 18% और 28% हो सकती हैं।

3. रिटर्न दाखिल करना:

  • कंपोजिशन स्कीम:
    • तिमाही आधार पर एक सरल रिटर्न (GSTR-4) दाखिल करना होता है।
    • वार्षिक आधार पर एक विवरणी (GSTR-9A) दाखिल करना होता है।
  • रेगुलर स्कीम:
    • मासिक या तिमाही आधार पर रिटर्न (GSTR-3B) दाखिल करना होता है।
    • मासिक आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने के लिए रिटर्न (GSTR-1) दाखिल करना पड़ सकता है।
    • वार्षिक आधार पर एक विवरणी (GSTR-9) दाखिल करना होता है।

4. इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी):

  • कंपोजिशन स्कीम:
    • आपूर्ति/खरीद पर भुगतान किए गए जीएसटी का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा नहीं किया जा सकता।
  • रेगुलर स्कीम:
    • आपूर्ति पर भुगतान किए गए जीएसटी का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा किया जा सकता है, जिससे कर देयता को कम किया जा सकता है।

5. लेखांकन आवश्यकताएं:

  • कंपोजिशन स्कीम:
    • तुलनात्मक रूप से कम जटिल लेखांकन की आवश्यकता होती है।
  • रेगुलर स्कीम:
    • विस्तृत चालानों और बिलों को बनाए रखने और जटिल रिकॉर्ड रखने की आवश्यकता होती है।

Difference between composition and regular gst in hindi

जीएसटी प्रणाली में दो मुख्य प्रकार के पंजीकरण होते हैं: संरचना योजना (कंपोजिशन स्कीम) और नियमित जीएसटी। ये दोनों योजनाएं विभिन्न प्रकार के व्यवसायों के लिए उपयुक्त हैं।

सुविधाजीएसटी संरचना योजना (कंपोजिशन स्कीम)नियमित जीएसटी
पात्रतावार्षिक कारोबार ₹1.5 करोड़ से कम (कुछ विशेष श्रेणी राज्यों के लिए ₹75 लाख से कम) वाले निर्माता, व्यापारी और सेवा प्रदातावार्षिक कारोबार ₹1.5 करोड़ से अधिक (कुछ विशेष श्रेणी राज्यों के लिए ₹75 लाख से अधिक) वाले सभी प्रकार के व्यवसाय
कर दरेंनिर्माताओं के लिए 1%, व्यापारियों के लिए 1% से 6% तक (आपूर्ति किए गए सामानों के प्रकार के आधार पर)आपूर्ति किए गए सामानों और सेवाओं के प्रकार के आधार पर विभिन्न दरें (0%, 5%, 12%, 18% और 28%)
रिटर्न दाखिल करनातिमाही आधार पर एक सरल रिटर्न (GSTR-4)मासिक आधार पर GSTR-3B और वार्षिक आधार पर GSTR-9
इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी)उपलब्ध नहींउपलब्ध (आप इनपुट के रूप में भुगतान किए गए कर का दावा कर सकते हैं)
चालान जारी करनावैकल्पिकअनिवार्य
रिकॉर्ड रखनासरल रिकॉर्ड रखने की आवश्यकताविस्तृत रिकॉर्ड रखने की आवश्यकता
जटिलताकम जटिलअधिक जटिल
फायदेसरल अनुपालन, कम रिटर्न, कम शुल्कआईटीसी का लाभ, सभी प्रकार के व्यवसायों के लिए उपयुक्त
नुकसानआईटीसी का लाभ नहीं, उच्च कर दरें हो सकती हैंजटिल अनुपालन, अधिक समय और प्रयास की आवश्यकता
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