जीएसटी के तहत, पंजीकृत डीलरों के लिए, नकद बिक्री करने की सीमा(GST me Cash bill Ki limit in Hindi) को लेकर कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है। हालांकि, आयकर अधिनियम, 1961 के तहत नकद लेनदेन की सीमाएं लागू होती हैं।
यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें सूचीबद्ध हैं, जिन्हें ध्यान में रखना आवश्यक है:
आयकर अधिनियम के अनुसार:
- एक वित्तीय वर्ष में एक बैंक खाते में ₹10 लाख से अधिक नकद जमा करने पर, बैंक को इसकी जानकारी आयकर विभाग को देनी होती है।
- किसी भी पंजीकृत व्यापारी को ₹2 लाख से अधिक की नकद राशि एक बार में किसी व्यक्ति या संस्था से प्राप्त नहीं करनी चाहिए।
- जीएसटी के तहत:
- जीएसटी केवल वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगने वाला कर है। यह निर्धारित नहीं करता है कि आपूर्ति करते समय कैश या डिजिटल माध्यम का उपयोग करना है।
- पंजीकृत डीलरों को सभी बिक्री का रिकॉर्ड बनाए रखना आवश्यक है, भले ही वह कैश या डिजिटल माध्यम से हुई हो।
- उन्हें सभी लेनदेन के लिए जीएसटी चालान जारी करना होगा।
टैक्स चोरी रोकने का उद्देश्य:
नकद बिक्री सीमा को टैक्स चोरी और काले धन के प्रचलन को कम करने के उद्देश्य से लागू किया गया है।
दस्तावेजों का रखरखाव:
- भले ही नकद बिक्री की कोई सामान्य सीमा न हो, पंजीकृत डीलरों को सभी बिक्री का हिसाब रखना चाहिए और बिल जारी करना अनिवार्य है।
- ₹2 लाख से अधिक की नकद बिक्री के लिए, पंजीकृत डीलर को खरीदार के पैन की जानकारी भी लेनी चाहिए और उसे बिल में दर्ज करना चाहिए।
निष्कर्ष:
जीएसटी के अंतर्गत, पंजीकृत डीलरों के लिए नकद बिक्री की कोई सीमा नहीं है। हालांकि, आयकर अधिनियम के तहत नकद लेनदेन की सीमाएं लागू होती हैं। साथ ही, बेहतर वित्तीय रिकॉर्ड बनाए रखने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित किया जाता है।
Cash Sale limit in GST
जीएसटी के तहत पंजीकृत विक्रेता के लिए नगद बिक्री सीमा क्या है?
जीएसटी के तहत, पंजीकृत विक्रेता के लिए कोई विशिष्ट नकद बिक्री सीमा नहीं है। वे किसी भी राशि का नकद लेनदेन कर सकते हैं।
मैं पंजीकृत विक्रेता के रूप में नकद बिक्री करते समय किन बातों का ध्यान रखूं?
भले ही जीएसटी के तहत कोई सीधी सीमा न हो, नकद लेनदेन कम से कम करने की सलाह दी जाती है। यह कर चोरी के जोखिम को कम करता है और आपके रिकॉर्ड को बनाए रखना आसान बनाता है।
आपको हमेशा ₹2 लाख से अधिक की नकद राशि प्राप्त करने का रिकॉर्ड रखना चाहिए और इसे आयकर विभाग को रिपोर्ट करना चाहिए।
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दें। यह न केवल सरकार को कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करता है बल्कि लेनदेन को ट्रैक करने में भी आसान बनाता है।
क्या पंजीकृत विक्रेता को नकद बिक्री का बिल जारी करना होता है?
हां, पंजीकृत विक्रेता को नकद बिक्री के लिए भी टैक्स चालान जारी करना अनिवार्य है। चालान में आपूर्ति किए गए सामानों या सेवाओं का विवरण, जीएसटी दर और राशि, और विक्रेता और ग्राहक की जानकारी शामिल होनी चाहिए।
जीएसटी में पंजीकृत डीलरों के लिए किन अप्रत्यक्ष सीमाओं का पालन करना आवश्यक है?
दो मुख्य अप्रत्यक्ष सीमाएं हैं:
आयकर अधिनियम: आयकर अधिनियम के तहत, एक वित्तीय वर्ष में एक बैंक खाते में 10 लाख रुपये से अधिक नकद जमा करने की अनुमति नहीं है (विशिष्ट परिस्थितियों को छोड़कर)।
जीएसटी रिटर्न विसंगतियों के लिए जांच: यदि किसी पंजीकृत डीलर की रिपोर्ट की गई बिक्री और नकद जमा राशि में बड़ा अंतर पाया जाता है, तो जीएसटी विभाग जांच कर सकता है।
क्या किसी भी परिस्थिति में पंजीकृत डीलरों को नकद बिक्री से बचना चाहिए?
भले ही कोई सीधी नकद बिक्री सीमा न हो, पंजीकृत डीलरों को अत्यधिक नकद लेनदेन से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि:
आयकर विभाग द्वारा जांच का जोखिम बढ़ जाता है।
नकद लेनदेन को ट्रैक करना मुश्किल होता है, जिससे लेखांकन जटिल हो जाता है।
नकदी चोरी होने का जोखिम अधिक होता है।
जीएसटी पंजीकृत डीलरों के लिए नकद लेनदेन का प्रबंधन करने के लिए सर्वोत्तम अभ्यास क्या हैं?
जितना हो सके डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दें (डेबिट/क्रेडिट कार्ड, UPI आदि)।
केवल उचित कारणों से ही नकद स्वीकार करें।
हर नकद लेनदेन का रिकॉर्ड बनाए रखें।
संदिग्ध नकद लेनदेन की रिपोर्ट करें।