What is the Difference Between GST and VAT जीएसटी और वैट में अंतर

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अब जीएसटी और वैट के बीच मुख्य अंतरों (Difference Between GST and VAT) को समझें: भारत में 1 जुलाई 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद, अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है. पहले, कई तरह के कर जैसे वैट, सेवा कर, उत्पादन शुल्क आदि लागू होते थे, जिससे जटिलता और अनुपालन का बोझ बढ़ जाता था. जीएसटी ने इन अलग-अलग करों को एकीकृत कर एक सरल और पारदर्शी प्रणाली स्थापित की है. आइए अब जीएसटी और वैट के बीच मुख्य अंतरों को समझें:

What is the Difference Between GST and VAT जीएसटी और वैट में अंतर

1. कर का आधार:

  • जीएसटी: जीएसटी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन से लेकर अंतिम उपभोग तक मूल्य वृद्धि पर लगाया जाता है. इसे “मूल्य संवर्धन कर” भी कहा जाता है.
  • वैट: वैट केवल वस्तुओं पर लगाया जाता था, सेवाओं पर नहीं. यह अंतिम बिक्री मूल्य पर लगाया जाता था.

2. कर की दरें:

  • जीएसटी: जीएसटी में विभिन्न कर दरें लागू होती हैं, मुख्य रूप से 0%, 5%, 12%, 18% और 28%. किसी वस्तु या सेवा पर लागू होने वाली दर वस्तु के प्रकार और करदाता के पंजीकरण स्थिति पर निर्भर करती है.
  • वैट: वैट की दरें अलग-अलग राज्यों में भिन्न थीं, आमतौर पर 4% से 15% के बीच. कुछ आवश्यक वस्तुओं पर छूट भी दी जाती थी.

3. कर का प्रशासन:

  • जीएसटी: जीएसटी का प्रशासन केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त तत्वावधान में किया जाता है. जीएसटी परिषद द्वारा कर नियमों और दरों का निर्धारण किया जाता है.
  • वैट: वैट का प्रशासन पूरी तरह से राज्य सरकारों द्वारा किया जाता था. प्रत्येक राज्य की अपनी वैट दरें और नियम होते थे.

4. अनुपालन:

  • जीएसटी: जीएसटी ने एकल कर प्रणाली को लागू करके अनुपालन प्रक्रिया को सरल बना दिया है. जीएसटी पंजीकृत व्यवसायों को ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता होती है.
  • वैट: वैट के तहत, व्यवसायों को कई अलग-अलग करों का पालन करना पड़ता था, जिससे अनुपालन का बोझ बढ़ जाता था.

5. प्रभाव:

  • जीएसटी: जीएसटी ने भारत के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इससे पारदर्शिता बढ़ी है, कर चोरी कम हुई है और आपूर्ति श्रृंखला को सुगम बनाया है.
  • वैट: वैट ने राज्यों के लिए राजस्व जुटाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत प्रदान किया. हालांकि, इस प्रणाली में जटिलता और कर चोरी की समस्याएं थीं.

निष्कर्ष:

जीएसटी और वैट के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर(Difference Between GST and VAT) हैं. जीएसटी ने एक अधिक सरल, पारदर्शी और व्यापक कर प्रणाली की स्थापना की है, जो भारत के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है. वैट अब इतिहास का एक अध्याय बन चुका है और जीएसटी वर्तमान में भारत में अप्रत्यक्ष करों की रीढ़ की हड्डी है.

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Difference between GST and VAT in Tabular Form जीएसटी और वैट में अंतर: तुलनात्मक तालिका

सवालजीएसटीवैट
क्या है?वस्तु एवं सेवा करमूल्य वर्धित कर
कब लागू हुआ?1 जुलाई, 20171 अप्रैल, 2005
कहां लागू होता है?पूरे भारत मेंराज्यों के अनुसार अलग-अलग दरें थीं
कर योग्य आपूर्तिवस्तुओं और सेवाओं दोनों परमुख्य रूप से वस्तुओं पर
दरेंविभिन्न उत्पादों के लिए अलग-अलग दरें (5%, 12%, 18%, 28%)एक या दो मानक दरें (आमतौर पर 4% या 12-14%)
कैस्केडिंग प्रभावसमाप्तमौजूद, क्योंकि वैट प्रत्येक चरण में उत्पाद पर लगाया जाता था
इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी)उपलब्धसीमित रूप से उपलब्ध
पंजीकरण सीमा₹20 लाख प्रति वर्षअलग-अलग राज्यों में भिन्न
रिटर्न फाइलिंगनियमित रिटर्न और सूचनाएंतिमाही या मासिक रिटर्न
लाभसरल कर प्रणाली, कैस्केडिंग प्रभाव कम, वस्तु और सेवाओं को एकीकृत करपारदर्शी व्यवस्था, लेकिन कई दरें और सीमाएं

Difference Between GST and VAT in Hindi जीएसटी और वैट में अंतर: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

जीएसटी और वैट में सबसे महत्वपूर्ण अंतर क्या है?

जीएसटी एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर एक समान दर से लगाया जाता है। दूसरी ओर, वैट केवल वस्तुओं पर ही लगाया जाता था और इसकी दरें विभिन्न राज्यों और वस्तुओं के लिए अलग-अलग थीं।

क्या जीएसटी ने वैट को पूरी तरह से हटा दिया है?

जी हाँ, 1 जुलाई 2017 को जीएसटी के लागू होने के साथ ही भारत में वैट को समाप्त कर दिया गया था। जीएसटी ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर, राज्य वैट और अन्य कई अप्रत्यक्ष करों को अपने में समाहित कर लिया है।

जीएसटी और वैट से किसको ज्यादा फायदा होता है?

जीएसटी से सरकार को अप्रत्यक्ष करों से अधिक राजस्व प्राप्त होता है क्योंकि कैस्केडिंग टैक्स प्रभाव कम होता है। जीएसटी का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और इसे अधिक कुशल बनाना भी है। उपभोक्ताओं को भी कुछ मामलों में लाभ हो सकता है, जैसे कि इनपुट टैक्स क्रेडिट के कारण कुछ उत्पादों की कीमतें कम हो सकती हैं। हालांकि, कुछ मामलों में जीएसटी से उत्पादों की कीमतों में भी वृद्धि हुई है।

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