आप जानते हैं कि जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) भारत में लागू एक अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि निर्यात पर जीएसटी का कैसा असर होता है?
जीएसटी के तहत निर्यात को कैसे परिभाषित किया गया है?
जीएसटी कानून के अनुसार, निर्यात को “भारत के बाहर किसी स्थान पर माल या सेवाओं की आपूर्ति” के रूप में परिभाषित किया गया है। दूसरे शब्दों में, जब आप कोई वस्तु या सेवा विदेश में भेजते हैं, तो उसे जीएसटी के तहत निर्यात माना जाता है।
निर्यात पर जीएसटी का क्या प्रभाव पड़ता है?
जीएसटी के तहत निर्यात को “शून्य-रेटेड आपूर्ति” माना जाता है। इसका मतलब है कि निर्यात पर कोई जीएसटी नहीं लगता है। यह निर्यातकों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद करता है।
हालांकि, एक चीज का ध्यान रखना जरूरी है। निर्यातक को निर्यात किए गए सामानों के निर्माण या खरीद के दौरान इनपुट के रूप में भुगतान किए गए जीएसटी का दावा करने का अधिकार है। इसे इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के रूप में जाना जाता है। यह व्यवस्था निर्यातकों को उनकी लागत कम करने और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करती है।
निर्यात के लिए क्या-क्या दस्तावेज जरूरी हैं?
निर्यात के लिए आपको कुछ दस्तावेज जमा करने होते हैं, जैसे:
- शिपिंग बिल
- निर्यात चालान
- विदेशी मुद्रा लेनदेन का प्रमाण (यदि लागू हो)
- जीएसटीआर (Goods and Services Tax Return) में निर्यात विवरण
जीएसटी के तहत निर्यात के लिए कौन से विकल्प उपलब्ध हैं?
जीएसटी कानून निर्यातकों को दो विकल्प प्रदान करता है:
- बॉन्ड या लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के तहत निर्यात: इस विकल्प के तहत, निर्यातक को शून्य-रेटेड आपूर्ति के रूप में निर्यात करने के लिए कर अधिकारियों के सामने बॉन्ड या लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जमा करना होता है।
- आईजीएसटी (इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) का भुगतान करके निर्यात: इस विकल्प में, निर्यातक को निर्यात किए गए सामानों पर आईजीएसटी का भुगतान करना होता है। बाद में, वह इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा कर सकता है और भुगतान किए गए आईजीएसटी की राशि वापस ले सकता है।
What is export of services under gst जीएसटी के तहत सेवाओं का निर्यात क्या है?
आप जानते हैं कि जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगाया जाता है। लेकिन, जब बात निर्यात की आती है, तो चीजें थोड़ी अलग होती हैं।
सेवाओं का निर्यात क्या है?
जीएसटी के अंतर्गत, सेवाओं का निर्यात तब माना जाता है, जब सेवाएं भारत से किसी विदेशी ग्राहक को प्रदान की जाती हैं। उदाहरण के लिए:
- एक भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी किसी अमेरिकी कंपनी के लिए वेबसाइट डिजाइन करती है।
- एक भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्म किसी ब्रिटिश कंपनी के लिए लेखा परीक्षा सेवाएं प्रदान करती है।
- एक भारतीय शिक्षण संस्थान विदेशी छात्रों को ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
सेवाओं के निर्यात पर जीएसटी लगता है?
नहीं, सेवाओं के निर्यात पर जीएसटी नहीं लगता है। जीएसटी शून्य-रेटेड आपूर्ति के रूप में सेवाओं के निर्यात का इलाज करता है। इसका मतलब है कि निर्यातक को सेवाओं पर कोई जीएसटी नहीं देना पड़ता है।
How to claim gst refund on export निर्यात पर जीएसटी रिफंड कैसे प्राप्त करें?
भारत से निर्यात करने वाले व्यवसायों के लिए जीएसटी प्रणाली के तहत अच्छी खबर है! आप निर्यात किए गए सामानों पर भुगतान किए गए एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) की राशि वापस ले सकते हैं। लेकिन, रिफंड प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए कुछ कदम उठाना जरूरी है।
जीएसटी निर्यात रिफंड के लिए कौन पात्र है?
निम्नलिखित व्यवसाय जीएसटी निर्यात रिफंड का दावा करने के पात्र हैं:
- माल का निर्यात करने वाले पंजीकृत जीएसटी आपूर्तिकर्ता
- निर्यात के लिए माल की आपूर्ति करने वाले जीएसटी आपूर्तिकर्ता (बिना भुगतान किए गए आईजीएसटी के)
जीएसटी निर्यात रिफंड का दावा करने के लिए क्या आवश्यक है?
जीएसटी निर्यात रिफंड का दावा करने के लिए आपको निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी:
- निर्यात चालान
- शिपिंग बिल (प्रमाणित)
- विदेशी मुद्रा लेनदेन का प्रमाण (बैंक द्वारा जारी)
- जीएसटी पंजीकरण प्रमाणपत्र
- बैंक खाता विवरण (जहां रिफंड जमा किया जाएगा)
जीएसटी निर्यात रिफंड का दावा कैसे करें?
आप दो तरीकों से जीएसटी निर्यात रिफंड का दावा कर सकते हैं:
1. शिपिंग बिल (डीम्ड रिफंड एप्लीकेशन) के माध्यम से:
- निर्यात के बाद, आपको कस्टम अधिकारियों को शिपिंग बिल जमा करना होगा।
- यह शिपिंग बिल ही आपके रिफंड आवेदन के रूप में कार्य करता है।
- कस्टम अधिकारी निर्यात के सत्यापन के बाद जीएसटी रिफंड प्रक्रिया शुरू करते हैं।
2. जीएसटीआर-11 फॉर्म के माध्यम से (बिना भुगतान किए गए आईजीएसटी के निर्यात के लिए):
- यदि आपने निर्यात के समय आईजीएसटी का भुगतान नहीं किया है, तो आपको जीएसटीआर-11 फॉर्म जमा करना होगा।
- यह फॉर्म जीएसटी पोर्टल पर ऑनलाइन जमा किया जा सकता है।
What is deemed export in gst in hindi जीएसटी में माने गए निर्यात (Deemed Exports) को समझें
आप जानते हैं कि निर्यात पर जीएसटी नहीं लगता है। लेकिन क्या आपको पता है कि कुछ खास परिस्थितियों में भारत के अंदर की गई आपूर्ति को भी निर्यात माना जाता है? इन्हें ही जीएसटी के तहत “माने गए निर्यात” (Deemed Exports) कहा जाता है।
माने गए निर्यात (Deemed Exports) क्या होते हैं?
माने गए निर्यात वे आपूर्तियाँ हैं जो भारत के भीतर की जाती हैं, लेकिन जीएसटी उद्देश्यों के लिए उन्हें निर्यात माना जाता है। दूसरे शब्दों में कहें, तो इन आपूर्तियों पर जीएसटी नहीं लगता है, हालांकि वास्तव में सामान देश से बाहर नहीं जाता है।
माने गए निर्यात किन परिस्थितियों में लागू होते हैं?
निम्नलिखित परिस्थितियों में आपूर्ति को माना गया निर्यात माना जा सकता है:
- निर्यात उन्मुख इकाइयों (EOUs) को आपूर्ति: यह उन कंपनियों को आपूर्ति करने के लिए लागू होता है जिन्हें विदेशी बाजारों के लिए उत्पाद बनाने के लिए विशेष लाभ दिए गए हैं।
- विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) को आपूर्ति: यह उन आपूर्तियों के लिए है जो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) में स्थित इकाइयों को की जाती हैं। SEZ में अलग-अलग कर नियम लागू होते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय संगठनों को आपूर्ति: यह उन आपूर्तियों के लिए है जो संयुक्त राष्ट्र या विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों को की जाती हैं।
How to get lut for export under gst जीएसटी के तहत निर्यात के लिए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LUT) कैसे प्राप्त करें?
भारतीय निर्यातकों के लिए अच्छी खबर है! जीएसटी व्यवस्था के तहत निर्यात करते समय एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST) का अग्रिम भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसा करने के लिए, आपको निर्यात के लिए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LUT) जमा करना होगा।
एलयूटी किसे जमा करना होता है?
जीएसटी पंजीकृत इकाइयां जो शून्य-रेटेड आपूर्ति के अंतर्गत माल का निर्यात करती हैं या विदेशी मुद्रा प्राप्त करने के अधिकार के साथ सेवाएं प्रदान करती हैं, उन्हें एलयूटी जमा करना आवश्यक है।
एलयूटी कैसे जमा करें?
आप जीएसटी पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन तरीके से एलयूटी जमा कर सकते हैं। प्रक्रिया इस प्रकार है:
- जीएसटी पोर्टल पर जाएं और अपने लॉगिन क्रेडेंशियल का उपयोग करके लॉग इन करें।
- “सेवाएं” टैब पर जाएं और फिर “उपयोगकर्ता सेवाएं” चुनें।
- “लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलयूटी) प्रस्तुत करें” विकल्प चुनें।
- वित्तीय वर्ष चुनें जिसके लिए आप एलयूटी जमा करना चाहते हैं।
- फॉर्म जीएसटी आरएफडी-11 भरें, जिसमें निर्यात के संबंध में स्व-घोषणाएं शामिल हैं।
- स्वतंत्र और विश्वसनीय गवाहों के नाम और पते दर्ज करें।
- फॉर्म को जमा करें।