GST SECTION 74 IN HINDI देय कर का निर्धारण

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जीएसटी धारा 74 उन स्थितियों से संबंधित है जहां कर प्राधिकारी देय कर राशि का निर्धारण कर सकता है। आमतौर पर, यह तब होता है जब आपूर्तिकर्ता द्वारा भुगतान किया गया कर अपर्याप्त होता है या गलत तरीके से दावा किया जाता है।(GST SECTION 74 IN HINDI)

यहां मुख्य बिंदुओं को सूचीबद्ध किया गया है:

  • कब लागू होती है धारा 74?

यह धारा तब लागू होती है, जब:

  • आपूर्तिकर्ता द्वारा भुगतान किया गया कर कम है (कम भुगतान)
  • आपूर्तिकर्ता द्वारा कोई कर का भुगतान नहीं किया गया है (भुगतान नहीं किया गया)
  • गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा किया गया है
  • धोखाधड़ी या जानबूझकर गलत बयानी के कारण कर का भुगतान नहीं किया गया है
  • कौन कर सकता है निर्धारण?
  • संबंधित कर प्राधिकारी आपके द्वारा दाखिल किए गए रिटर्न की जांच के आधार पर निर्धारण कर सकता है।
  • निर्धारण राशि में क्या शामिल है?
  • देय कर राशि (कम भुगतान किया गया या भुगतान नहीं किया गया)
  • ब्याज
  • जुर्माना
  • क्या अपील की जा सकती है?

हां, आप निर्धारण आदेश के खिलाफ अपील दायर कर सकते हैं।

  • दंड:

धारा 74 के तहत निर्धारित कर राशि के अलावा, देय राशि पर ब्याज और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। जुर्माना की राशि कम भुगतान या भुगतान न किए गए कर राशि के 100% तक हो सकती है।

धारा 74 के दायरे में आने से कैसे बचें?

  • अपने कर दायित्वों का सही ढंग से पालन करें।
  • सटीक रिकॉर्ड बनाए रखें।
  • समय पर जीएसटी रिटर्न दाखिल करें।
  • इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का केवल वैध चालानों के आधार पर दावा करें।

धारा 74 के तहत कारण बताओ नोटिस (show cause notice under gst section 74):

  • यह नोटिस तब जारी किया जाता है, जब उचित प्राधिकारी (Proper Officer) को यह प्रतीत होता है कि किसी करदाता ने:
    • जीएसटी का भुगतान नहीं किया है या कम भुगतान किया है।
    • गलत तरीके से रिफंड प्राप्त किया है।
    • इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का गलत लाभ उठाया है।
  • यह नोटिस करदाता को यह स्पष्टीकरण देने का अवसर प्रदान करता है कि क्यों उस पर कर की राशि, ब्याज और जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए।

धारा 74 के तहत उचित प्राधिकारी (proper officer under gst section 74):

  • उचित प्राधिकारी वह अधिकारी होता है, जिसे सरकार इस धारा के तहत कार्रवाई करने के लिए अधिकृत करती है।
  • यह अधिकारी आमतौर पर करदाता के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जीएसटी विभाग का कोई अधिकारी होता है।

धारा 74 के तहत न्यायिक निर्णय (gst section 74 case law):

  • धारा 74 के तहत कुछ महत्वपूर्ण केस लॉ (Case Law):
  • कई कानूनी मामले धारा 74 की व्याख्या से संबंधित हैं। कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:
    • एम/एस अग्रवाल इंडस्ट्रीज बनाम सीजीएसटी, देहरादून [2020]: इस मामले में, यह माना गया कि कारण बताओ नोटिस जारी करने से पहले उचित जांच आवश्यक है।
    • मैसर्स पवन इंडस्ट्रीज लि. बनाम सीजीएसटी, अहमदाबाद [2019]: इस मामले में, यह माना गया कि तकनीकी खामियों के कारण कारण बताओ नोटिस को रद्द किया जा सकता है।

धारा 74 के तहत समय सीमा (gst section 74 time limit):

  • आमतौर पर, कारण बताओ नोटिस का जवाब देने की समय सीमा नोटिस जारी होने की तिथि से 30 दिन होती है। हालांकि, कुछ मामलों में यह समय सीमा अधिकारी द्वारा बढ़ाई जा सकती है।

धारा 74 के तहत दंड (penalty under gst section 74):

  • यदि करदाता कारण बताओ नोटिस का जवाब देने में विफल रहता है या विभाग को उसका जवाब संतोषजनक नहीं लगता है, तो कर की राशि के बराबर जुर्माना लगाया जा सकता है।

जीएसटी धारा 74(1) और 74(5)

जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) अधिनियम, 2017 की धारा 74 कर विभाग को कुछ परिस्थितियों में करदाताओं से कर वसूली करने का अधिकार देती है। आइए, इस धारा के दो महत्वपूर्ण उप-धाराओं, 74(1) और 74(5), पर एक नजर डालें और समझें कि ये करदाताओं को कैसे प्रभावित करती हैं:

जीएसटी धारा 74(1):

  • यह धारा उन परिस्थितियों से संबंधित है जहां कर विभाग को यह प्रतीत होता है कि:
    • कर का भुगतान नहीं किया गया है या कम भुगतान किया गया है (टैक्स नॉट पेड या शॉर्ट पेड)।
    • गलत तरीके से रिफंड दिया गया है (एरोनियस रिफंड)।
    • इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का गलत तरीके से लाभ उठाया गया है (रॉन्ग अवेल्ड या यूटिलाइज्ड आईटीसी)।
  • उपरोक्त स्थितियों में से किसी के लिए भी, यदि धोखाधड़ी (फ्रॉड) या कर चोरी (वि wilful मिसस्टेटमेंट या सप्रेशन ऑफ फैक्ट्स टू इवेड टैक्स) का पता चलता है, तो कर विभाग संबंधित व्यक्ति को नोटिस जारी करेगा।
  • इस नोटिस में करदाता को यह बताना होगा कि वह बताए गए कारणों से कर का भुगतान क्यों नहीं करना चाहिए। साथ ही, उस राशि का भुगतान करने के लिए भी कहा जाएगा, जिसका भुगतान नहीं किया गया है या कम किया गया है।
  • इसके अलावा, धारा 50 के तहत देय ब्याज और उस राशि के बराबर जुर्माना भी देना होगा।

2. जीएसटी धारा 74(5):

  • यह धारा करदाताओं को एक वैकल्पिक रास्ता प्रदान करती है।
  • उप-धारा 74(1) के तहत नोटिस मिलने से पहले ही, करदाता स्वयं अपनी गणना के अनुसार या कर विभाग द्वारा निर्धारित राशि के अनुसार कर, ब्याज और 15% जुर्माना का भुगतान कर सकता है।
  • भुगतान करने के बाद, करदाता को कर विभाग को लिखित रूप में सूचित करना होगा।
  • इस स्थिति में, कर विभाग द्वारा कोई नोटिस जारी नहीं किया जाएगा।
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