1. Section 9 of CGST act धारा 9 का शीर्षक: Levy और collection
2. Section 9(1) of CGST act धारा 9(1) का क्या कहना है?
- यह उपधारा कहती है कि कुछ अपवादों को छोड़कर, सभी अंतर-राज्यिक वस्तुओं या सेवाओं या दोनों की आपूर्ति पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाया जाएगा।
- अपवादों में शामिल है: मानव उपभोग के लिए मादक शराब की आपूर्ति।
- कर की दर धारा 15 के तहत निर्धारित मूल्य पर और अधिनियम द्वारा निर्धारित दरों से अधिक नहीं होगी।
3. धारा 9(2) का क्या कहना है?
- यह उपधारा पेट्रोलियम कच्चा तेल, हाई स्पीड डीजल, मोटर स्पिरिट (आमतौर पर पेट्रोल के रूप में जाना जाता है), प्राकृतिक गैस और विमान टर्बाइन ईंधन की आपूर्ति पर सीजीएसटी के levy को कवर करती है।
- सरकार परिषद की सिफारिशों पर अधिसूचना द्वारा ऐसी तारीख से इन वस्तुओं पर कर लगा सकती है, जो अधिसूचित की जाए।
4. धारा 9(2) में ई-कॉमर्स ऑपरेटरों का प्रावधान:
- यह उपधारा ई-कॉमर्स ऑप करेटरों के लिए विशेष प्रावधान करती है।
- यदि किसी ई-कॉमर्स ऑपरेटर की कर योग्य क्षेत्र में कोई भौतिक उपस्थिति नहीं है, तो उस क्षेत्र में किसी भी उद्देश्य के लिए ऐसे ऑपरेटर का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई भी व्यक्ति कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा।
- और, यदि ई-कॉमर्स ऑपरेटर की कर योग्य क्षेत्र में कोई भौतिक उपस्थिति नहीं है और न ही उसका कोई प्रतिनिधि है, तो उसे कर का भुगतान करने के लिए कर योग्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति को नियुक्त करना होगा।
5. धारा 9 में रिवर्स चार्ज का उल्लेख:
- यह धारा रिवर्स चार्ज तंत्र का भी उल्लेख करती है।
- यदि कोई अपंजीकृत आपूर्तिकर्ता किसी पंजीकृत व्यक्ति को कर योग्य वस्तुओं या सेवाओं या दोनों की आपूर्ति करता है, तो उस पर प्राप्तकर्ता (पंजीकृत व्यक्ति) द्वारा रिवर्स चार्ज के आधार पर कर का भुगतान किया जाएगा।
Section 9(3) of CGST act
जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है। इसमें आपूर्ति पर कर लगाया जाता है, चाहे वह वस्तुओं का विक्रय हो या सेवाओं का प्रदान करना हो। धारा 9(3) जीएसटी अधिनियम, 2017 उन विशेष परिस्थितियों को निर्धारित करती है जिनमें आपूर्ति प्राप्तकर्ता (रिसीपिएंट) पर कर का भुगतान करने की जिम्मेदारी आ जाती है, जिसे ‘रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM)’ के नाम से जाना जाता है।
Section 9(3) of GST list of services
यहाँ धारा 9(3) के मुख्य बिंदुओं को सूचीबद्ध रूप में दिया गया है:
- रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) को लागू करना: सरकार की सिफारिशों पर परिषद द्वारा अधिसूचना के माध्यम से कुछ विशेष प्रकार की वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति को रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत लाया जा सकता है।
- कर का भुगतानकर्ता कौन है?: जब रिवर्स चार्ज लागू होता है, तो आपूर्ति प्राप्तकर्ता (रिसीपिएंट) पर कर का भुगतान करने की जिम्मेदारी आ जाती है, न कि आपूर्तिकर्ता (सप्लायर) पर।
- कर की दरें: रिवर्स चार्ज के तहत लागू कर की दरें वही होती हैं, जो सामान्य आपूर्ति पर लागू होती हैं। (आमतौर पर 0%, 5%, 12%, 18% या 28%)
- आपूर्ति प्राप्तकर्ता (रिसीपिएंट) के दायित्व: रिवर्स चार्ज के तहत कर का भुगतान करने के अलावा, आपूर्ति प्राप्तकर्ता को जीएसटी रिटर्न दाखिल करना होगा और उसमें रिवर्स चार्ज के तहत भुगतान किए गए कर की जानकारी शामिल करनी होगी।
Section 9(4) of the CGST act deals with
जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) के तहत धारा 9(4) एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो “रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म” (RCM) से संबंधित है। यह उन परिस्थितियों को नियंत्रित करता है जहां आपूर्तिकर्ता (Seller) जीएसटी के लिए पंजीकृत नहीं है, लेकिन प्राप्तकर्ता (Buyer) एक पंजीकृत व्यवसाय है।
आइए, धारा 9(4) जीएसटी के विभिन्न पहलुओं को सूचीबद्ध रूप में देखें:
- कब लागू होता है धारा 9(4)?
- यह धारा तब लागू होती है जब कोई पंजीकृत खरीदार (Registered Buyer) किसी ऐसे आपूर्तिकर्ता (Supplier) से वस्तु या सेवाएँ खरीदता है जो जीएसटी के लिए पंजीकृत नहीं है।
- कौन चुकाता है टैक्स?
- रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत, पंजीकृत खरीदार (Registered Buyer) आपूर्ति किए गए सामानों या सेवाओं पर जीएसटी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है। उसे ऐसा लगता है मानो वह स्वयं आपूर्तिकर्ता (Supplier) की तरह है।
- किस दर से लगता है टैक्स?
- जीएसटी की दर वस्तु या सेवा की आपूर्ति पर लागू दर के अनुसार ही होगी। उदाहरण के लिए, यदि आपूर्ति 18% की दर वाली है, तो पंजीकृत खरीदार को भी 18% की दर से जीएसटी का भुगतान करना होगा।
- क्या करना होता है पंजीकृत खरीदार को?
- पंजीकृत खरीदार को अपनी जीएसटी रिटर्न में रिवर्स चार्ज के तहत भुगतान किए गए कर का उल्लेख करना होगा। उसे इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा करने का भी अधिकार है।
- क्या हैं अपवाद?
- कुछ विशिष्ट प्रकार की आपूर्तियों को रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म से छूट दी गई है। इन छूटों के बारे में नवीनतम अपडेट के लिए जीएसटी काउंसिल की वेबसाइट देखें।
धारा 9(4) जीएसटी का महत्व:
यह प्रावधान सरकार को यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि जीएसटी का संग्रह प्रभावित न हो, भले ही आपूर्तिकर्ता पंजीकृत न हो। यह पंजीकृत खरीदारों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा करने का एक अवसर भी प्रदान करता है।
Electronic cash ledger in GST in Hindi जीएसटी में इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर (ईसीएल)
GST section 9(5) जीएसटी धारा 9(5)
जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) की धारा 9(5) ई-कॉमर्स ऑपरेटरों (ईसीओ) के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह उस परिस्थिति से संबंधित है जहां ईसीओ के माध्यम से सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
Supplies u/s 9(5)
यहां मुख्य बिंदुओं की एक सूची दी गई है:
- ईसीओ द्वारा कर का भुगतान: धारा 9(5) के तहत, ईसीओ को उन सेवाओं पर कर का भुगतान करना होता है, जो उसके प्लेटफॉर्म के माध्यम से आपूर्त की जाती हैं। इसमें निर्धारित श्रेणी की सेवाएं शामिल हैं, जिन्हें सरकार परिषद की सिफारिशों पर अधिसूचित करती है।
- प्रभावी रूप से आपूर्तिकर्ता माना जाता है: इस प्रावधान के अनुसार, ईसीओ को वास्तविक आपूर्तिकर्ता के रूप में माना जाता है। इसका मतलब है कि ईसीओ आपूर्ति किए गए सेवाओं पर कर लगाने और उसका भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है, न कि सेवा प्रदाता।
- टैक्स भुगतान विधि: ईसीओ को जीएसटी का भुगतान नकद में करना होता है, वह इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा नहीं कर सकता।
- प्र लागू सेवाएं: आमतौर पर रेस्तरां सेवाएं, आवास सेवाएं, हाउसकीपिंग सेवाएं और यात्री परिवहन सेवाएं जैसी सेवाएं जीएसटी धारा 9(5) के अंतर्गत आती हैं।
- रिपोर्टिंग आवश्यकताएं: ईसीओ को जीएसटीआर-3बी फॉर्म में धारा 9(5) के तहत आपूर्ति की रिपोर्ट करनी होती है। उन्हें वास्तविक सेवा प्रदाता द्वारा दी गई आपूर्ति को अलग से दिखाना होगा।
- उद्देश्य: इस प्रावधान का मुख्य उद्देश्य कर संग्रह को सुव्यवस्थित करना और कर चोरी को रोकना है। ईसीओ को एक पंजीकृत व्यवसाय के रूप में माना जाता है, इसलिए उनके लिए अनुपालन करना अपेक्षाकृत आसान है।